त्रिज्ञान कार्यक्रम
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त्रिज्ञान कार्यक्रम: आत्म-साक्षात्कार का द्वार
कैवल्याश्रम मेरठ में आयोजित त्रिज्ञान कार्यक्रम आपको अध्यात्म के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों से परिचित कराता है – आत्म ज्ञान, माया का ज्ञान और ब्रह्म ज्ञान। यह कार्यक्रम माँ शून्य के मार्गदर्शन में आपको अपने वास्तविक स्वरूप की खोज, जगत के मिथ्यात्व की समझ और परम सत्य के अनुभव की ओर ले जाता है।
त्रिज्ञान कार्यक्रम की विशेषता है इसकी सरलता और व्यावहारिकता। जटिल आध्यात्मिक अवधारणाओं को दैनिक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से इस प्रकार समझाया जाता है कि प्रत्येक साधक, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो, आसानी से ग्रहण कर सके।
आइए, त्रिज्ञान की इस यात्रा में कदम रखें और जानें अपने अस्तित्व के तीन मूलभूत प्रश्नों के उत्तर।
आत्म ज्ञान खंड
आत्म ज्ञान – मैं क्या हूँ?
आत्म ज्ञान त्रिज्ञान का पहला चरण है, जिसमें साधक अपने वास्तविक स्वरूप की खोज करता है। इसमें हम जानते हैं कि हम शरीर, मन और बुद्धि से परे हैं। माँ शून्य के मार्गदर्शन में साधक सरल भाषा में अपने आत्म स्वरूप से परिचित होते हैं और यह अनुभव करते हैं कि वे निराकार, अपरिवर्तनशील और शाश्वत हैं।
आत्म ज्ञान की प्रक्रिया
कैवल्याश्रम में आत्म ज्ञान की प्रक्रिया ‘नेति-नेति’ (यह नहीं, यह नहीं) विधि पर आधारित है। इसमें साधक क्रमशः निम्न स्तरों पर अपने आप को पहचानता है:
1. भौतिक स्तर: मैं शरीर नहीं हूँ
2. प्राणिक स्तर: मैं प्राण या ऊर्जा नहीं हूँ
3. मानसिक स्तर: मैं मन या विचार नहीं हूँ
4. बौद्धिक स्तर: मैं बुद्धि या ज्ञान नहीं हूँ
5. आनंदमय स्तर: मैं अहंकार या व्यक्तित्व नहीं हूँ
इस प्रक्रिया के अंत में, साधक अपने को ‘साक्षी’ या द्रष्टा के रूप में पहचानता है – वह जो सभी अनुभवों को देखता है, परंतु स्वयं अपरिवर्तित रहता है।
आत्म ज्ञान का प्रभाव
आत्म ज्ञान से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं:
* भय का अंत
* शांति और संतुष्टि
* अंतर्ज्ञान का विकास
* सहज प्रेम और करुणा
* जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण
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माया का ज्ञान खंड
माया का ज्ञान – जगत क्या है?
माया का ज्ञान त्रिज्ञान का दूसरा महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें हम इस भौतिक जगत की वास्तविकता को समझते हैं। वेदांत के अनुसार, जगत माया है – न पूर्णतः सत्य, न पूर्णतः असत्य। माँ शून्य इस जटिल अवधारणा को सरल उदाहरणों से समझाती हैं, जिससे साधक जगत के मिथ्यात्व को समझ सकें।
माया के दो आयाम
माया के दो प्रमुख आयाम हैं:
1. आवरण शक्ति: यह वह शक्ति है जो हमें सत्य को देखने से रोकती है, जैसे बादल सूर्य को ढक लेते हैं
2. विक्षेप शक्ति: यह वह शक्ति है जो हमें भ्रम में डालती है, जैसे रेगिस्तान में मृगतृष्णा
माया से परे जाने की विधियां
कैवल्याश्रम में हम माया से परे जाने के लिए निम्न विधियां सिखाते हैं:
विवेक: सत्य और मिथ्या के बीच भेद करना
वैराग्य: अनावश्यक लगाव से मुक्ति
षट्-संपत्ति: मन की छह गुणवत्ताओं का विकास
मुमुक्षुत्व: मोक्ष की तीव्र इच्छा
मानसिक आवरणों को हटाकर, साधक जगत की वास्तविकता को उसके यथार्थ रूप में देख पाता है और उसके प्रभाव से मुक्त हो जाता है।
ब्रह्म ज्ञान खंड
ब्रह्म ज्ञान – परम सत्य क्या है?
त्रिज्ञान का तीसरा और अंतिम चरण है ब्रह्म ज्ञान – परम सत्य की पहचान। यह ज्ञान बताता है कि ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है, जो सर्वव्यापी, सर्वज्ञानिमान और शाश्वत है। माँ शून्य के मार्गदर्शन में साधक इस परम सत्य का अनुभव करने की ओर बढ़ते हैं, जिससे पूर्ण मुक्ति की प्राप्ति होती है।
ब्रह्म ज्ञान के सिद्धांत
ब्रह्म ज्ञान के मुख्य सिद्धांत इस प्रकार हैं:
अद्वैत: एकता का सिद्धांत – सभी में एक ही चैतन्य व्याप्त है
सत्-चित्-आनंद: ब्रह्म का स्वरूप – सत् (अस्तित्व), चित् (ज्ञान), आनंद (परमानंद)
अहं ब्रह्मास्मि: मैं ब्रह्म हूँ – आत्मा और परमात्मा की एकता
तत्त्वमसि: वह तुम हो – व्यष्टि और समष्टि की एकता
ब्रह्म ज्ञान का अनुभव
कैवल्याश्रम में ब्रह्म ज्ञान को केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि अनुभव का विषय माना जाता है। साधकों को निम्न माध्यमों से इस अनुभव की ओर ले जाया जाता है:
* गहन ध्यान
* स्वाध्याय (आत्म-अध्ययन)
* आत्म-विचार
* गुरु कृपा और सत्संग
ब्रह्म ज्ञान से साधक मुक्ति के परम लक्ष्य को प्राप्त करता है और सच्चिदानंद स्वरूप का अनुभव करता है।
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त्रिज्ञान कार्यक्रम विवरण
कैवल्याश्रम में आयोजित त्रिज्ञान कार्यक्रम एक गहन अनुभवात्मक यात्रा है जो साधकों को आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाती है।
कार्यक्रम का प्रारूप:
अवधि: 3 दिन
स्थान: कैवल्याश्रम/ऑनलाइन
कार्यक्रम में शामिल हैं:
माँ शून्य द्वारा अध्यात्मिक मार्गदर्शन ध्यान और आत्म-अन्वेषण के अभ्यास प्रश्नोत्तर सत्र समूह चर्चा आत्म-अनुभव साझा करना सत्संग और भजन
पात्रता:
कार्यक्रम सभी उम्र और पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिए खुला है। आध्यात्मिक मार्ग पर प्रारंभिक या अनुभवी – कोई भी व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है।
पंजीकरण:
ऑनलाइन पंजीकरण: पंजीकरण लिंक
फोन द्वारा: +91 8791547385
ईमेल द्वारा: bodhisatvasunya@gmail.com
आवास सुविधा:
आश्रम में रहने की सुविधा उपलब्ध है। दूर से आने वाले साधक आवास के लिए अग्रिम पंजीकरण करा सकते हैं। हमारा अनुभव बताता है कि आश्रम में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर की गई साधना साधकों के आध्यात्मिक विकास में अधिक सहायक होती है।